गुरु गोविंद की परंपरा आज भी प्रासंगिक, गुरु बिना जीवन अंधकारमय : अशोक विश्वकर्मा

वाराणसी |  ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाए जाने वाले पौराणिक आध्यात्मिक ज्ञान पर्व गुरु पूर्णिमा के अवसर पर लौकिक एवं अलौकिक समस्त गुरुजनों के चरणों में नमन करते हुए कहा कि हिंदू धर्म में गुरुजनों को भगवान से भी ऊपर सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है क्योंकि गुरु ही हमें अज्ञानता के अंधेरे से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है , एक वक्त होता था जिसका कोई गुरु न होने पर निगुरा कह कर उसका उपहास उड़ाया जाता था ।

उन्होंने कहा विद्या एवं उच्चस्तरीय आध्यात्मिक ज्ञान के क्षेत्र में चेतना जागृत करने तथा आदर्श मानवीय जीवन के लिए गुरु का मार्गदर्शन एवं संरक्षण अत्यंत आवश्यक है , प्राचीन काल में आध्यात्मिक एवं अलौकिक ज्ञान की प्राप्ति के लिए विद्यार्थी को गुरुकुल भेजने की परंपरा का कालक्रम के साथ लोप होता गया किंतु युग परिवर्तन के साथ गुरु की महत्ता तथा गुरु गोविंद की परंपरा आज भी प्रासंगिक है गुरु के संरक्षण और मार्गदर्शन के बिना जीवन अंधकारमय है ।