ठाणे जैन मंदिर में वल्लभसूरी महाराज के जन्मदिन पर विशेष आयोजन

ठाणे |     वल्लभ गुरुदेव ने बताया है कि जो समय को पहचान सके वही परिवर्तन का मूल्य समझ सकता है और जो परिवर्तन का मूल्य समझ सकता है वह सुधार का ह्रदय से स्वागत करे बिना रह ही नही सकता परिवर्तन कहो या सुधार बात एक ही है उसके लिए निःस्वार्थ से निष्ठा पूर्वक और आलस निद्रा आराम त्याग कर प्रयास करने का नाम है सुधारक्ता मानव समाज में समय – समय पर जन्मे हुए सुधारकों ने दुनिया पर जो उपकार किए हैं उनका मूल्य निर्धारित करना मुमकिन नही है वल्लभ गुरुदेव विवेकी और निष्पक्ष सुधारक थे गुरुदेव अपने देश व समाज के महान संत पुरुष थे जिनका जन्म वि.स.1927 की कार्तिक सुह द्वितीया बीज (भाईबीज) को गुजरात के बड़ोदा में हुआ था गुरुदेव मानव समाज मे अलगाव और झगड़ों का निवारण करके एकता और स्नेह की भावना प्रतिष्ठा करने व जीवन भर पुरुषार्थ करते रहे अपने हाँथो से कैची जैसा टुकड़े करने का कार्य कभी न हो बल्कि सदैव सुई – धागे की तरह जोड़ने के कई कार्य होते रहे उसकी वे पूरी जागृति रखते थे गुरुदेव ने साधु जीवन स्वीकार करके अपने स्वयं के उद्धार तथा दूसरों के कल्याण के लिए कार्य किया फिर भी मेरे हाँथो से एक गलती भी ऐसी प्रवृति मेरे हाथों से नहीं होनी चाहिये कि जिसमें मेरी सयंमयात्रा को तथा समाज कल्याण की भावना को क्षति पहुँचे जगत का भला करने में अपना ही भला होता है किसी कारण से दुसरो का भला नहीं हो सकता है तो दुख का निमित भी नहीं बनना चाहिए   |