मुख्यमंत्री का अस्पताल दौरा क्या  स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली सुधार पाएगा ?

वाराणसी  |  कोरोना वायरस के संक्रमण ने देशभर के स्वास्थ्य सेवाओं की बदतर दशा का पोल खोल दिया है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए आजकल अस्पतालों का दौरा कर रहे हैं पूर्व प्रसारित चंद समय के तैयारीशुदा वीआईपी निरीक्षण पर असंतोष जाहिर करते हुए ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने कहा है कि पूर्व प्रचारित निरीक्षण खामियों पर रंगीन आवरण डालने का पर्याप्त अवसर प्रदान करता है तथा इस प्रकार के निरीक्षणोपरांत संपूर्ण व्यवस्था पूर्ववत हो जाती है और सरकार की मंशा भी साकार नहीं हो पाती है इसलिए निरीक्षण का दिखावा एवं खानापूर्ति करने की बजाय गोपनीय निरीक्षण की कार्यवाही होनी चाहिए जिससे लोक सेवकों में भय व्याप्त हो तथा जनमानस को निरंकुश एवं सड़ी गली और भ्रष्ट व्यवस्था से प्रभावी ढंग से निजात मिल सके , उन्होंने बताया कि आबादी के अनुपात में अस्पतालों , डॉक्टरों उपकरणों एवं संसाधनों की कमी मरीजों की समुचित सेवा में बहुत बड़ी बाधा है सरकारी अस्पतालों में आधारभूत संरचना सुविधाएं पैथोलॉजी दवाइयां कुशल व प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ एवं अन्य सुविधाओं की कमी है दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता ना होने के चलते कमीशन खोरी के लालच में मरीजों को बाहर की दवाएं तथा जांच लिखी जाती है , मरीजों को अनावश्यक रूप से दौड़ाकर प्रताड़ित किया जाता है , मरीज की बीमारी को गंभीरता से नहीं लिया जाता डॉक्टरों द्वारा मरीज को घर पर दिखाने के लिए दबाव बनाया जाता है ।

उन्होंने कहा कि देश में स्वास्थ्य सेवाएं काफी महंगी है जो गरीबों की पहुंच से काफी दूर हो गई है अमीरी और गरीबी की बढ़ती हुई खाई तथा आर्थिक व सामाजिक विषमताएं भी स्वास्थ्य सेवाओं की असमान स्थितियों को जन्म दे रही हैं स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सरकार का अपर्याप्त बजट तथा निजीकरण स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का बड़ा कारण है निजी अस्पतालों की वजह से संपन्न लोगों को तो गुणवत्ता युक्त स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो जाती हैं किंतु गरीब एवं निर्धन लोगों के संबंध में यह स्थिति काफी चिंताजनक बनी हुई है महंगी होती स्वास्थ्य सेवाओं के कारण आम आदमी द्वारा स्वास्थ पर किए जाने वाले खर्च में बेतहाशा वृद्धि हुई है जिसके लिए सरकार की नीतियां और रवैया भी एक हद तक जिम्मेदार है विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनेक रिपोर्ट सहित इस क्षेत्र में हुए अनेक सर्वेक्षण यह बताती है कि हमारी सार्वजनिक चिकित्सा व्यवस्था सुधरने की बजाय और भी बदतर होती जा रही है सरकार को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है की निजी चिकित्सा उद्योग सिर्फ चुनिंदा शहरों और लोगों तक सीमित ना रहे बल्कि यह अपनी सुविधाओं का विस्तार छोटे एवं पिछड़ों शहरों में सभी के लिए हो सरकार को यह भी देखना चाहिए कि मरीजों से मनमानी रकम ना वसूली जाय इसके लिए समुचित प्रशासनिक व्यवस्था की जानी चाहिए देश को वर्तमान समय में एक ऐसी स्वास्थ्य नीति की आवश्यकता है जो मौजूदा समय की चुनौतियों से निपटने में सक्षम हो तथा लगातार परिवर्तित हो रहे परिवेश में उत्पन्न होने वाली संक्रमित बीमारियों से देशवासियों की रक्षा कर सकें  ।