संकट में नेपाल के रिफाइनरी कारोबारी भारत में आयात पर प्रतिबन्ध

सोनौली / महाराजगंज |   भारत और नेपाल के रिश्तों के बीच जारी तल्खी का असर कारोबार पर भी दिख रहा है भारत ने बीते दिनों जो पाम ऑयल इम्पोर्ट पर रोक लगाई थी , उससे नेपाल को बड़ा झटका लगा है रिफाइनरी से जुड़े कारोबारियों की अर्थव्यवस्था डगमगा गई है कोरोना संकट काल के कारण सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पड़ोसी नेपाल सहित अन्य देशों के बिजनेस पर भी काफी फर्क पड़ा है भारत ने बीते दिनों रिफाइंड पाम ऑयल के आयात पर रोक लगाई थी , जिसके बाद से ही नेपाल का बिजनेस पूरी तरह से ठप हो चुका है नेपाल की कई रिफाइनरी कंपनी ऐसी हैं , जिन्होंने अब कच्चा माल लेना बंद कर दिया है क्योंकि भारत ने उनका माल खरीदना ही बंद कर दिया है खबरों के मुताबिक , भारत सरकार ने बीते दिनों 39 ऑयल इम्पोर्ट लाइसेंस को रद्द कर दिया था , जिसके कारण पड़ोसी देशों से आने वाला ड्यूटी फ्री शिपमेंट पूरी तरह से रुक गया इसका असर नेपाल पर सबसे अधिक पड़ा क्योंकि वहां की रिफाइनरी मार्केट पूरी तरह से भारतीय ग्राहकों पर निर्भर रही है  ।
नेपाल की पशुपति ऑयल इंडस्ट्री के अमित सारदा के मुताबिक , अब रिफाइनर यहां क्रूड पाम ऑयल नहीं मंगवा रहे हैं , क्योंकि खपत नहीं है बस जितना ऑर्डर पहले दिया है , उसे ही रिसीव कर रहे हैं नेपाल में ये स्टॉक अब 70 हजार टन तक पहुंच गया है अगर इसे खत्म करना है तो लोकल डिमांड ही बढ़ानी होगी इसी वजह से अब नेपाल ने क्रूड पाम ऑयल मंगाना कम कर दिया है , जिसकी गवाही आंकड़े दे रहे हैं मलेशिया से रिफाइंड पाम ऑयल आयात पर रोक , मोदी सरकार की आलोचना है वजह सरकारी आंकड़ों के अनुसार , पहले नेपाल हर महीने 21 हजार टन तक का कच्चा माल मंगाता था , जो अब 7000 टन पर आ गया है दरअसल , भारत नेपाल से करीब दो तिहाई तक रिफाइंड पाम ऑयल लेता है एक तो इम्पोर्ट पर लगी रोक और दूसरा नेपाल के साथ जारी तीखे संबंधों के कारण नेपाल को बड़ा नुकसान हुआ है भारत बड़ी मात्रा में नेपाल से ये ऑयल लेता था इसलिए नेपाल की इंडस्ट्री ने इस ओर काफी इन्वेस्ट किया था इसमें 30 बिलियन नेपाली रुपये इन्वेस्ट किए गए , भारत ने करीब 45 हजार टन 2018 – 19 में और 189078 टन 2019 – 20 में इम्पोर्ट किया  |

रतनपुर से विनय त्रिपाठी की रिपोर्ट