समाजसेविका अलका पाण्डेय के घर पर कवियों की सजी महफ़िल

नवी मुंबई  ।
अखिल भारतीय अग्निशिखा और महिला काव्य मंच की तरफ से विशेष काव्य गोष्ठी का आयोजन संस्था की अध्यक्षा श्रीमती अलका पांडे के संयोजन में उनके निवास स्थान नवी मुम्बई स्थित कोपर खैराने ,सेक्टर 1 , प्लॉट नंबर 74 , देविका रो हाउस में दिनांक 28 जून शुक्रवार की साम आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता संगीतकार, वरिष्ठ कवि अभिलाज “अभि” जी ने किया  ।

इस अवसर पर नैनीताल से पधारी कवियत्री पुष्पलता जोशी “पुष्पांजलि” एवं नागपुर से पधारी कवियत्री हेमलता “मानवी” का भी सम्मान किया गया , उक्त काव्यगोष्ठी का संचालन महाराष्ट्र हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित श्री पवन तिवारी जी ने नायाब तरीके से किया  ।

इस विशेष आयोजन में कविता राजपूत,अलका पाण्डेय,सुशीला शर्मा, विजय मिश्रा,विनय शर्मा “दीप”, नंदलाल थापर,विक्रम सिंह पूर्णिमा पाण्डेय,चंद्रिका व्यास,रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ,वरिष्ठ कवि त्रिलोचन सिंह अरोरा,कुलदीप सिंह दीप, सेवासदन प्रसाद, विश्वम्भर दयाल तिवारी जी,अरुण प्रकाश मिश्र “अनुरागी “ आदि साहित्यकार उपस्थित थे , उक्त कवियों में कुछ की रचनाएँ इस प्रकार रही जो सराहनीय रही  ।

कवि विनय शर्मा “दीप” ने अपने सवैया से खूबसूरत संमा बांधते हुए लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया-
(वर्षा ऋतु के बादल उमड़-घुमड़ कर इधर-उधर नाचते-गाते फिर कर स्वयं अपने विषय में लोगों को बता रहें हैं कि मेरा आगमन हो चुका है। )

नीर हई बदरा बनिके चहुँ ओर निहारत घूमत हौं हे।
आवतु हौं वहिं क्षीर मझारन, अंबर के डग फिरत हौं हे।
खेत सिवान,किसान,सुजान हिया धरती संग चूमत हौं हे।
आँचर हौ धइके वसुधा,जग नाचत गावत झूमत हौं हे ।।

कवि कुलदीप सिंह “दीप” की रचना प्रसंसनीय रही-

आने से तेरे, मेरे घर में, आ जायेगी बहार।
बेटी की तरह रखेंगे, तुमको और देंगे प्यार ही प्यार ।।

प्यार से अपने दिल ये हमारे, तुम भी जीत लेना।
सबसे अच्छी बहु हमारी,सबका हो ये कहना ।।

साहित्य अकादमी पुरस्कृत कवि पवन तिवारी की कविता हृदय को उद्वेलित कर दिया-

माँ का मिला आशीष तो फिर ऐसा अंजाम हुआ
मिट्टी वाले धंधे का सोने सा दाम हुआ ।

चला झूम में तभी डगर में काँटा एक चुभा
दर्द में लिपटा शब्द जो निकला माँ का नाम हुआ ।

वर्षों बाद मिला अम्मा से झुककर नमन किया
सर पर हाथ रखा तो जैसे चारो धाम हुआ ।

था गरीब अम्मा का बेटा बस आशीष मिला
फलित हुआ आशीष देश में नाम तमाम हुआ ।

जिसने भी माँ को पूजा माँ का सम्मान किया
बुरे समय में भी उसका बिगड़ा काम हुआ ।

जिसने भी है इस जग में माँ का अपमान किया
कर्म भाग्य भी दुत्कारा उसे जग बदनाम हुआ।

माँ की आज्ञा का जो पालन करता रहा सदा
उसके हक़ में दुर्लभ से दुर्लभ परिणाम हुआ।

वरिष्ठ कवि रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने दादाजी को लेकर सुन्दर रचना से लोगों के दिलों में जगह बनाई-

मेरे दादा जी अब,
सत्तर के हो गये।
आंखो के चश्मे के,
और नम्बर बढ गये। ।
सुबह सुबह चाय के,
वह आदी हो गये।
कमर थोड़ी झुक गयी,
लाठी के आदी हो गये।।
बातो के बने धनी,
मुह पोपले हो गये।
बाल सारे उड गये,
वह टकले हो गये।।
ज्यादा करते आराम,
लेटने के आदी हो गये।
पूरी कचौडी खाने लगे,
हलवा के स्वादी हो गये।।
बुढापा सब पर आवै,
पर वह जवान हो गये।
सुबह सवेरे पार्क के,
चक्कर वाले वो हो गये।।

नवी मुंबई की वरिष्ठ कवियत्री श्रीमती चंद्रिका व्यास ने देशहित,देश के विकास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि-

हिंदुस्तान का स्वाभिमान
कोटि कोटि जनता का है अभिमान
बना एक चौकीदार का नारा
देश के जनता की विचार धारा !

पुरुषार्थ को ले साथ
वह युग पुरुष कहलाया
सबका साथ सबका विकास
को, गुरुमंत्र है बनाया!

सर्व धर्म समान की परिभाषा
मोदी की अपनी है भाषा
विकास योजनान्तर्गत फल आते
स्वाद सर्व धर्म सम उसका पाते!

नफरत की दीवारें तोड़
प्रेम पुष्प है खिलाया
तीन तलाक बंद कर
नारी का स्तर है उठाया !

शौचालय अभियान
समस्या का समाधान
बिजली, पानी आवास दे
किया गांव का उत्थान!

फूंस जला धुआँ फैंकती
चूल्हे को नया रुप दिया
उज्जवला योजना से मोदी ने
वनिता को नया मार्ग दिया !

वंशवादऔर जातिवाद को
राजनीति से दिया निकाल
मजहब की राजनीति भी
क्या टिक पाती थी इस बार!

भ्रष्टाचार और आतंक को
जो देते थे पनाह (कालाधन)
नोटबंदी आ जाने से
हो गये सब फनाह!

बेटी बचाओ, बेटी बढाओ नारा
ले , किया लिंग-भेद दूर
गाँव गाँव को कर साक्षर
किया देश मजबूत!

हवा जमी आसमान पर
कर जाते स्ट्राइक
देश प्रेम में मर मिटनेको
करते हैं हम फाइट !

संयम मर्यादा और संस्कार
मोदी के हैं हथियार
बना जनता जनार्दन को ईश्वर
बन जाता है चौकीदार !

अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच की अध्यक्षा व सुप्रसिद्ध कवियत्री कविता राजपूत की रचना कुछ इस तरह से-

कंधा नही होता जिसके किस्मत में किसी का,कम्बख्त जिंदगी उसी को
खूब रुलाती है,
यह जिंदगी भी क्या क्या खेल दिखाती है।।

इसी तरह सभी कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओं से लोगों को आनंदित कर दिया और अंत में गोष्ठी की आयोजिका अलका पाण्डेय ने उपस्थित सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया और गोष्ठी का समापन किया।