सुशांत अगर जिंदा होते तो ड्रग्स सेवन के लिए उन्हें छह महीने से लेकर एक साल तक की सजा होती :- रिया के वकील 

मुंबई |      रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शोविक चक्रवर्ती की जमानत याचिका पर मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में करीब 7 घंटे सुनवाई हुई इस दौरान रिया के वकील सतीश मान शिंदे ने एन.सी.बी. द्वारा फाइल किए हलफनामे में रिया और शोविक ड्रग्स सिंडिकेट के एक्टिव मेंबर्स बताने और उन पर एन.डी.पी.एस. एक्ट की धारा 27A लगाने का विरोध किया साथ ही कहा कि मैसेजेस से ये कहीं से साबित नहीं हो रहा कि ड्रग्स का लेन – देन भी हुआ होगा और रिया की ओर से पक्ष रखते हुए मान शिंदे ने कहा कि ड्रग्‍स का वजन 25 ग्राम था जो कि सुशांत के इस्तेमाल के लिए था इतनी कम मात्रा का उपयोग कारोबारी लिहाज से नहीं हो सकता ना ही वो मुनाफा कमाने के लिए ऐसा कर रहीं थीं और बचाव पक्ष के एक अन्य वकील ने कहा कि आरोप है कि हमने सुशांत को ड्रग्स सेवन की सुविधा प्रदान की ऐसे में हम पर ज्‍यादा से ज्‍यादा सेक्‍शन 29 के तहत चार्ज लगाया जा सकता है क्‍योंकि यहां सिर्फ कंजंप्शन हुआ है ट्रेड नहीं साथ ही एन.सी.बी. ने इस बात का उल्लेख भी नहीं किया कि यह छोटी या वाणिज्यिक श्रेणी है और आपको बता दे कि रिया के वकील की ओर से यह भी कहा गया कि किसी भी काम को अपराध के रूप में वर्णित करने के लिए उस काम का पूरा होना जरूरी है अगर मैं अपने फोन से एक ड्रग डीलर को मैसेज करता हूं कि मुझे 10 ग्राम हैश भेजे और डीलर जवाब दे कि वो भेज रहा है केवल इन दो संदेशों के आधार पर क्या कोई अपराध साबित हो सकता है ? ये भी मुमकिन है कि डिलीवरी मैन ने ही उसका सेवन कर लिया हो या उसे चुरा लिया हो या किसी और को दे दिया हो एक्‍चुल रूप से वो चीज डिलीवर हुई कि नहीं इस चीज के सबूत के बिना सिर्फ मैसेजेज के आधार पर उसे नहीं माना जा सकता बता दे कि सुनवाई के दौरान सतीश मानशिंदे ने फाइनली कहा कि अगर सुशांत आज जीवित होते तो ड्रग्स के उपभोग के लिए उन्हें धारा 27 के तहत दंडित किया जाता  जिसमें उन्हें बमुश्‍किल छह महीने से एक साल की सजा होती जाहिर है जब मुख्य बेनिफिशियरी को सिर्फ छह महीने से एक साल की सजा होती तो रिया और शोविक के खिलाफ कैसे धारा 27A के लगाई जा सकती है जिसमें 10 से 20 साल की सजा का प्रावधान है और बॉम्बे हाई कोर्ट में मंगलवार को चली करीब 7 घंटे की सुनवाई के बाद कोर्ट ने दोनों की जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया जो अगली सुनवाई में आ सकता है    |