इंडिया से अब ”भारत” नामकरण करने का समय आया है डॉ. अरूण विजय

ठाणे | जैन मुनि डॉ.अरुण विजय ने कहा कि गुलामी क्षेत्रीय भी होती है, सांस्कृतिक भी होती है, बोली और भाषा की भी होती है खान-पान आचार विचार आहार-विहार संस्कारों में भी गुलामी होती है गत 6 वर्षों से मोदी सरकार देश का संचालन कर रही है क्या कभी किसी ने मोदी को टाई पहनते हुए देखा है ? आखिर क्यों नहीं ? 90 प्रतिशत भारतीय वेशभूषा परिधान करते हैं लेकिन विदेशों में कई बार पैंट कोट भी पहनते हुए देखा है लेकिन टाई बांधे हुए तो दिखने में नहीं आए मोदी आखिर क्या कारण है ? ”सौगंध देश की मिट्टी की” ऐसी कविता गाने वाले देश के प्रधानमंत्री ने टाई को ब्रिटिश साम्राज्य की गुलामी का प्रतीक माना है , टाई भारतीय संस्कृति का पहनावा नहीं है इसलिए टाई बांधने से देश की संस्कृति की शोभा कभी नहीं बढ़ती है भारत करीब डेढ़ सौ से दो सौ वर्षों तक विदेशी संस्कृति ब्रिटिश का गुलाम रहा था  भारत उष्णकटिबंध प्रदेश है, यहां गर्मी का प्रमाण काफी ज्यादा रहता है ब्रिटेन लंडन आदि शीत कटिबंद्ध प्रदेश है ।

वहां ठंडी का प्रमाण काफी ज्यादा रहता है इसलिए कपड़े ज्यादा पहनते हैं पैंट पहनना उसमें जींस और भी चमड़ी को चारों बाजू से बंद हो और पैरों में भी बंद मोटा जाड़ा कपड़ा हो ताकि ठंडी हवा ज्यादा शरीर में न जाय इसी तरह गले में टाई बांधकर गले के भाग से भी ठंडी हवा सीने में न भरे और ठंडी न पकड़ लें इत्यादि कारणों से ठंडे प्रदेशों में खासकर ज्यादातर टाई की संस्कृति बढ़ी पनपी और पली है, रही बात भारत की अंग्रेज देश छोड़कर चले गए लेकिन भाषा तथा टाई पेंट कोट सूट की कई छाप ऐसी छोड़कर गए हैं कि 72 वर्षों के बाद भी भारतीयों ने अभी तक छोड़ा नहीं है अब 72 वर्षों के बाद भारत जब राष्ट्रीयता राष्ट्रवाद की सोच को ज्यादा ही मजबूत करता हुआ |

भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है तो सर्वप्रथम तो इंडिया नाम ही बदल कर भारत नाम घोषित करना चाहिए, अमेरिका रूस चीन जर्मन जापान फ्रांस किसी के 2 नाम नहीं है तो फिर भारत के 2 नाम विश्व पटल पर क्यों प्रसिद्ध है ? अंग्रेजों की गुलामी की निशानी कायम रखकर गौरव लेने जैसा अब उचित नहीं है हिंदू राष्ट्र भारत का इंडिया नाम यह शोभास्पद नहीं है प्रधानमंत्री तथा संसद से खास निवेदन है कि इस पर संसद में चर्चा करके यथाशीघ्र समूचे विश्व पटल पर भारत बस एक ही नाम से पहचान तथा व्यवहार हो, ऐसी शुभ शुरुआत करें  भारत नाम सदीयों नहीं सहस्राब्दीयों से प्राचीन सभ्यता तथा संस्कृति के साथ जुड़ा हुआ है, इसी नाम की घोषणा करें ।