कोख में पल रहे बच्चे को हुई डायबिटीज

ब्रिटिश |      ब्रिटिश शोधकर्ताओं की चौकाने वाली रिसर्च सामने आई है शोधकर्ताओं का दावा है कि गर्भ में पल रहे बच्चे को भी डायबिटीज हो सकती है रिसर्च करने वाले एक्सेटर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है ऑटोइम्यून डिसीज गर्भ में पल रहे बच्चे के इम्यून सिस्टम पर अटैक करती है यह बीमारी इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को डैमेज करती है इस तरह जन्म से पहले ही बच्चे में टाइप – 1 डायबिटीज हो सकती है इसका एक मामला सामने आया है और शोधकर्ता डॉ. एलिजाबेथ रॉबर्टसन के मुताबिक पहली बार ऐसा मामला सामने आया है जब जन्म होने पर बच्चे में टाइप – 1 डायबिटीज कंफर्म हुई आपको बता दे कि अब तक बच्चों में टाइप – 1 डायबिटीज के मामले जन्म के 6 माह बाद सामने आते थे लेकिन नई रिसर्च कहती है कि गर्भ में भी इसका खतरा है टाइप – 1 डायबिटीज ऐसी ऑटो इम्यून डिसीज है जिसकी शुरुआत आमतौर पर बचपन में ही हो जाती है इसका पूरी तरह से इलाज संभव नहीं है सिर्फ दवाओं और सावधानियों की मदद से इसे कंट्रोल किया जा सकता है इसकी वजह जेनेटिक म्यूटेशन है वहीं टाइप -2 डायबिटीज खानपान में गड़बड़ी के कारण होती है एक्सपर्ट्स का कहना है कि अब टाइप – 1 डायबिटीज का सटीक इलाज ढूंढने की जरूरत है अगर इसके मामले बढ़ते हैं तो हालात और गंभीर हो जाएंगे और डायबिटोलॉजिया जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक शोधकर्ताओं ने डायबिटीज से जूझ रहे 400 बच्चों पर अध्ययन किया रिसर्च में यह बात सामने आई कि जन्म से 6 माह पहले भी बच्चे को डायबिटीज हो सकती है भले ही उसमे जेनेटिक म्यूटेशन हो या न हो यह पहली बार हुआ है जब ऑटोइम्यून डिसीज बिना किसी जेनेटिक म्यूटेशन के हुई है एवं रिसर्च टीम ने पाया है कि जिस बच्चे में कोख में ही टाइप – 1 डायबिटीज हुई उसका जन्म के समय वजन औसत से भी कम था आमतौर पर कोख में ही बच्चे में इंसुलिन बनने लगता है लेकिन हालिया मामले में इम्यून सिस्टम पर अटैक होने के कारण इंसुलिन बनना कम हुआ और जन्म के समय वजन भी घटा आपको बता दे कि डायबिटीज होना यानी शरीर में ब्लड शुगर का स्तर पर बढ़ना है यह जैसे – जैसे बढ़ता है शरीर के दूसरे अंगों के फेल या उन्हें नुकसान पहुंचने का खतरा बढ़ता है डायबिटीज के मरीजों में मांसपेशियों का कमजोर होना , आंखों की रोशनी घटना , किडनी डिसीज , स्ट्रोक और हार्ट डिसीज का खतरा बढ़ता है    |