विस्तार वाद अच्छा है या विकासवाद ? डॉ.अरुण विजय

ठाणे । जैन मुनि डॉ. अरुण विजय ने चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन में सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए भक्तों को बताया कि दुनिया में करीब 200 देश वर्तमान काल में विद्यमान है कई बहुत छोटे छोटे देश है मुंबई से भी छोटे या आधे हैं तथा कई देश काफी बड़े-बड़े भी है कई देशों के पास भूमि का क्षेत्रफल काफी कम है लेकिन जनसंख्या आबादी काफी ज्यादा है ठीक इससे विपरीत कई देशों के पास क्षेत्रफल काफी ज्यादा बढ़ा है परंतु जनसंख्या आबादी काफी कम है कई देश राजाशाही शासन व्यवस्था चल रही है , विश्व में लोकशाही व्यवस्था वाले देश काफी कम है सदियों से कई राजा महाराजा विस्तारवादी नीती की मान्यता वाले थे उनका अपना राज्य छोटा था, लेकिन आबादी काफी घनी और ज्यादा थी, या घनी आबादी वाले देश होने के बावजूद संसाधन आदि काफी कम होने के कारण लोगों को व्यापार-व्यवसाय इतना नहीं मिलता था, या कृषि के लिए इतनी ज्यादा उपजाऊ भूमि प्रर्याप्त न हो ऐसी कई प्रकार की परिस्थिति में राजाओं ने विस्तार वादी नीति का अमल किया , भारत जैसे देश में विगत 1000 वर्षों से विदेशी बाहर के अनेक देशों के यवन आक्रांताओने विस्तारवादी नीति अपनाकर भारत पर आक्रमण किया और भारी युद्ध करके खून की नदियां बहा कर भारत पर राज्य किया ऐसे यवनों का काल भी समाप्त हुआ ।

कालांतर में अंग्रेजों ने भी भारत पर अतिक्रमण किया, भारत को गुलाम बनाया तथा डेढ़ सौ से भी ज्यादा वर्षों तक राज्य किया, लेकिन ऐसे विस्तार वादी आक्रांता ने जीवन भर में कभी सुख शांति की सांस नहीं ली वह चैन से जी नहीं पाए  हिटलर जैसा भी इसी तरह मौत के मुंह में चला गया , अंग्रेजों को भी भारत छोड़कर जाना पड़ा विस्तारवादी नीतियों के काल में युद्ध का ही माहौल हमेशा बना रहता था जनता में सुख शांति कभी नहीं बढती थी ऐसी प्रजा का विकास कैसे हो ? शिक्षा के क्षेत्र में, चिकित्सा के क्षेत्र में ऐसे कई क्षेत्रों में विकास कैसे संभव हो पाएगा ? पूज्य अरुण विजयजी महाराज ने आज बताया कि भारत देश कभी भी विस्तारवादी नीति की सोच नहीं रखता था अतः पूरी सहस्त्राब्दीओं में देखिए भारत देश ने अपना विस्तार फैलाने के लिए कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया , अपनी संपत्ति समृद्धि सब कुछ प्रजा के विकास में लगाया परिणाम स्वरूप भारत में विकास काफी बढा है , आजादी के 72 वर्षों में काफी विकास साधते साधते भारत आज भी विकासशील देश बना हुआ है विस्तारवादी नीति वालों का विभाजन विनाश भी जल्दी होता है  शत्रुता बढ़ती है अतः विस्तारवाद नहीं विकासवाद ही अच्छा है  ।