हिंदुस्तान की धमनियों में दौड़ती है हिंदी :- कृपाशंकर सिंह

मुंबई |     हिंदी हमारी राष्ट्रीय एकता की पहचान है आजादी की लड़ाई से लेकर स्वराज की स्थापना तक हिंदी ही एकमात्र ऐसी भाषा थी जिसने संपूर्ण भारत वासियों को एकता के सूत्र में बांध रखा था इंकलाब जिंदाबाद , जय हिंद , स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है , करो या मरो , जय जवान , जय किसान जैसे हिंदी नारों ने उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम के प्रदेशों में लोकप्रिय रहे महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह ने हिंदी दिवस के अवसर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उपरोक्त बातें कहीं उन्होंने कहा कि हिंदी वह भाषा है जो हिंदुस्तान की धमनियों में दौड़ती है उन्होंने कहा कि अब वह दिन दूर नहीं जब हिंदी विश्व की सबसे बड़ी भाषा के रूप में प्रतिष्ठित होगी कृपाशंकर सिंह ने कहा कि हिंदी सर्वप्रिय भाषा है इसमें ना तो कोई अक्षर कैपिटल होता है और ना कोई स्मॉल हिंदी आज भारत के 9 राज्यों और 3 केंद्र शासित राज्यों की कार्यालयीन भाषा है उन्होंने कहा कि दैनिक जीवन में हिंदी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग किए जाने की आवश्यकता है साथ ही इस भाषा को रोजगार से जोड़ने की सख्त आवश्यकता है    |